Sunday 31 January 2016

मैं कुछ ज्यादा दीवाना था

मैं कुछ ज्यादा दीवाना था,तू कुछ ज्यादा सयानी थी
मैंने तुम्हे बचाने की ओर मुझे लुटाने की ठानी थी
सालों साल के इस नाटक में तुमको एक हिस्सेदार मिला
मुझसे छिपकर तुमने उसकी बाहें थामी थी
यही हमारी प्रेम कहानी थी.....

फिर लोट आई तुम वापस,नए इरादों के संग
कुछ झूठे सपने,कुछ झूठे वायदों के संग
फिर से मेरे विशवास को अपनाकर जख्मी किआ
प्यार के नाम पर तुमने दुश्मनी निभानी थी
यही अपनी प्रेम कहानी थी...

सच जानकर भी तेरे संग,हाथ पकड़कर चले चला
तुम तो शायद भूल चुकी हो तुमने क्या क्या मेरे साथ किआ
झूठ कितने बताये मुझे और सच्चाई कितनी छिपानी थी
यही अपनी प्रेम कहानी थी.....

"गुरु"ने बीती बातें भुलाकर फिर से तुमको अपनाया था
एक तरफ दोस्ती निभाई,दूजी तरफ इश्क़ निभाया था
सालो बित गए पर मैं अब भी दीवाना हूँ,,तू अब भी सयानी है.....
यही अपनी प्रेम कहानी है।।।।।