Friday 31 March 2017

गैरो की बाँहों

जाते जाते भी मुझसे दगा कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

विदाई से पहले बात जी भर की मुझसे
जाते-जाते तन्हाई में किसी ओर से मिल गई
गैरो की बाँहों में वफ़ा कर गई

यूँ तो सब थी खबर,ना बताया मगर
जुबाँ से अपनाया, दिल से मुकर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

आज भी लोग जानते है तुम्हे मेरे नाम से
मुझसे बेवफाई,किसी से वफ़ा,किसी से विवाह कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

तुझे बद्द दुआ देने को अब भी दिल राजी नही
सदमे में हूँ तुम इतना बुरा मेरे संग कैसे कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

दो ही दिन थे शादी के,फिर जितना मर्जी बिखर लेती
अंदाजा नही तुम्हे तुम क्या कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

"गुरू"की आँखों में इतना उजाला न आया समझ
स्वर्णा समझी थी,रेत सी बिखर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

Monday 13 March 2017

इस से बुरा अब क्या लिखूं...

इस होली हम संग नही इस से बुरा अब क्या लिखूं
इस होली तुम किसी और की हो,इस से बुरा अब ये भी है।

अब तेरी तस्वीर दिखी,ससुराल में पहली होली की
आँखों से आंसू झलक उठे,सीने पे लगी मानो गोली सी
लम्हे सारे चाक हुए,इस से बुरा अब क्या लिखूं
यादें सारी उम्र चुभेंगी, इस से बुरा अब ये भी है।

ये आसमानी सा रंग परी, चढ़ा तेरे रंग गोरे पे
किस्मत के रंग सफेद हुए,चढ़े मरजाने "गुरु"निगोड़े पे
ये रंग न मेरे हाथ लगा,इस से बुरा अब क्या लिखूं
ये हाथ तुझे मंजूर न था,इस से बुरा अब ये भी है।

तेरे चेहरे की मुस्कान सखी,अब भी उतनी ही खिलती है
खड़ी किसी के संग होजा,मुझसे अच्छी न जोड़ी सजती है
तेरे जोड़ी मेरे साथ नही,इस से बुरा अब क्या लिखूं
इस जोड़ी में वो बात नही,इस से बुरा अब ये भी है।

ये लाल गुलाल का बवाल,जो गाल पे तेरे छाया है
छूकर के किसी ने तुमको,दिल को मेरे तड़पाया है
इस तड़पन में तेरा हाथ है,इस से बुरा अब क्या लिखूं
तू किसी और के साथ है इस से बुरा अब ये भी है।

मेरे सपनों को बेरंग करके,क्यों किया मतभेद परी
मेरे सब रंग तेरे संग गये,जीवन हो गया सफेद परी
तुम पहले सी नहीं रही,इस से बुरा अब क्या लिखूं
"गुरू"अब भी न बदल सका, इस से बुरा अब ये भी है।।।।।