Wednesday, 20 December 2023

तेरी दी निशानी,मुसीबत तुमसे भी बड़ी

 तेरी दी निशानी,मुसीबत तुमसे भी बड़ी 

हाथों से निकाली, तो गले में आ पड़ी 


मुझे अब तक याद है गहरी सी आँखें तेरी 

छोटे-छोटे होंठ,आँखों की भौंहें चढ़ी-चढ़ी


“गुरु” हुए दूर तो जीते जी मर जाऊँगी

सालों पहले किया करती थी बातें बड़ी-बड़ी


तेरी यादों को साथ में बांध रखा है ना चाहकर भी

चाँदी की अंगूठी दी थी तुमने,मैंने बना ली हथकड़ी


तेरे ज़हन में फिर भी फीकी पड़ गई मेरी यादें

सोने सी चमकती निशानी तेरी अब भी मेरे गले में लटकी पड़ी