Thursday 21 June 2018

ज़िंदगी





कोने से फटे वो ख़त सारे
जिनकी लिखाई धुँधली पड चुकी
तेरे जहन में मेरी यादों जैसे हैं
सारी यादें धुँधली पड़ चुकी
मेरा दिल तेरी यादों का घर है
इल्ज़ाम सारे अब भी मेरे सर है
नाराज़ ना हो ज़िंदगी...नाराज़ ना हो ज़िंदगी

तेरी शिकायत जायज़ हैं
मेरे सारे शिकवे झूठ सही
फिर से मनाऊँ..जी भर के
तुँ नैन भिगोकर रूठ सही
तेरे संग सारे तीज त्योहार
तुम पर सब कुछ दूँ वार
तुम बन गये हो ज़िंदगी..बन गये हो ज़िंदगी

“गुरू”ग़ुरूर क्या करे
बात जब तेरे साथ हो
क्या दिन,सदी,वार गिनू
हाथ में जब तेरा हाथ हो
तुम लाख हो,मैं खाख हूँ
तुम मौसम हो,मैं बरसात हूँ
मैं तेरी ज़िंदगी..तुम मेरी ज़िंदगी...