Thursday 29 November 2018

मैं....main ….by guru

मैं तुम्हे अतिप्रिय था
मुझसे ही तुम्हारा सुख-दुख था
मैं ही समय,मैं ही कलेंडर
मैं ही तुम्हारा सब कुछ था
प्रेम को तुमने युद्ध सा जाना
तुम जीती मैं गया हार
तुम्हारा कुछ सालों का प्यार... प्रिय...कुछ सालों का प्यार

कुछ साल तो सब कुछ था
कुछ साल बाद बचा कुछ भी नही
तब तक मुझसा कोई भी नही था
अब मुझसा दिखता तुम्हे मैं भी नही
दिमाग से बड़ा कोई विश्वासघाती नही
न दीवाने दिल जैसा कोई लाचार...प्रिय
तुम्हारा कुछ सालों के प्यार प्रिय...कुछ सालों का प्यार

दूजो के लिए जीवन सारा
मेरे लिए एक मुस्कान भी नही
मैं वही रहा,तुम बदल गई
भले मुझे तुम जीवन का भूला-बिसरा किस्सा रखो
पर तुम्हारे जीवन मे जितना मेरा है,उतना तो हिस्सा रखो
इसपर ना करो तकरार प्रिय
तुम्हारा कुछ सालों का प्यार प्रिय.. कुछ सालों का प्यार

बेशक तुम कल में बदल जाना,लेकिन मैं आज में अटल रहूँगा
मैं कल तुम्हारा था,आज तुम्हारा हूँ,तुम्हारा ही कल रहूँगा
ये "गुरू"का वचन नही,सिद्धांत है
तुम्हारा प्रेम मेरी शुरुआत,वही अंत है
मेरे प्रेम में सब कुछ तेरा,बिन प्रेम मुझपे तुम्हारा तिनका भर नही अधिकार प्रिय....
कुछ सालों का प्यार तुम्हारा...कुछ सालों का प्यार प्रिय...कुछ सालों का प्यार