Friday 11 March 2022

बस तुम मेरे साथ हो ..bus tum mere sath ho “poem by guru”


चार बरस की सजा मुझे हो या आजीवन कारावास हो
बस तुम मेरे साथ हो मुझे इतना सा विशवास हो



रस्सी आवत जात तै सिल पर पड़े निशान
सील बने दुनिया सारी, मेरा रस्सी सा प्रयास हो



टूट-टूट के बिखरुं चाहे,उम्मीद है फिर जुड़ जाऊंगा
पानी जैसा हो धैर्य मुझमे,अग्नि जैसा अट्टहास हो



मुझसे किये वायदे सारे, मुझे भूल तुम्हे निभाने होंगे
धरती-पाताल चाहे जहाँ रहूँ, तुम्हारे हंसने का आभास हो



बस तुम मेरे साथ हो,मुझे इतना सा विशवास हो.......


                                                       
“गुरु”