तेरी ज़हर सी ज़िंदगी में शहद घोलकर
जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर
शहद बनके आया था,शहद बनके रहा
ख़ुशी है मैं जब तक रहा,तेरा बनके रहा
उलझी ज़िंदगी की गाँठे खोलकर
जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर
मैंने तुझसे किए मेरे सारे वायदे निभाये हैं
मेरे भोले-भाले सच ने तेरे संगीन झूठ छिपाए हैं
ज़हर पिया है अपने अधर खोलकर
जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर
मैं ग़लत रास्तों से तुमको बचाने आया था
सालों बाद भी मोहब्बत का फ़र्ज़ निभाने आया था
तेरी दिल्लगी के आगे हाथ जोड़कर
जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर