Sunday 11 June 2023

जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर …ja raha hu main tera sheher chhodkar

 तेरी ज़हर सी ज़िंदगी में शहद घोलकर

जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर 


शहद बनके आया था,शहद बनके रहा 

ख़ुशी है मैं जब तक रहा,तेरा बनके रहा 

उलझी ज़िंदगी की गाँठे खोलकर 

जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर 


मैंने तुझसे  किए मेरे सारे वायदे निभाये हैं 

मेरे भोले-भाले सच ने तेरे संगीन झूठ छिपाए हैं 

ज़हर पिया है अपने अधर खोलकर 

जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर 



मैं ग़लत रास्तों से तुमको बचाने आया था 

सालों बाद भी मोहब्बत का फ़र्ज़ निभाने आया था 

तेरी दिल्लगी के आगे हाथ जोड़कर 

जा रहा हूँ मैं तेरा शहर छोड़कर 



असला साथ नहीं रखता,,,asla sath nahi rakhta

 जीतकर कमाई है ,झूठी साख नहीं रखता

उस हसीना पर भरोसा ,मैं खाख नहीं रखता

आँखों में आई यादें दिल में उतार लेता मगर 

बारूद से भरकर मैं असला,साथ नहीं रखता


चाहत उसकी जब तक साथ थी; तो थी 

अब उसकी चाहत साथ नहीं रखता 

उसकी याद से इतनी दूरियाँ है मेरी 

उसकी छुई हुई चीजों पर भी ; मैं हाथ नहीं रखता 


उसके दिल में होने का,मैं अहसास नहीं रखता 

उसका होना या ना होना,मायने कुछ ख़ास नहीं रखता 

दिल में कुछ,होठों में कुछ रखते हो  “गुरु”

बेवफ़ा लोगों के आगे ,मैं अपनी बात नही रखता


तुम बिन नींद ही ना आये,ऐसी रात नहीं रखता 

मेरी कद्र ना हो तो मैं  ज़ज़्बात नहीं रखता 

तेरे जाने के ग़म से टूट सा जाये

“गुरु” ऐसे भी हालात नहीं रखता