Tuesday 22 March 2022

Meri aadat hai buri मेरी आदत है बुरी poem by guru

 मेरी आदत है बुरी,तुम्हारी चाहत है बुरी

हर पल नई आरज़ू,तुम्हारी इबादत है बुरी


दिल से जिसको भी चाहो,मिलता ज़रूर है

मेरी-तेरी राह में,ये कहावत है बुरी


मैं अपने ज़ोर पर तुमसे मिलने आऊँगा

वहम को पाले बैठी मेरी ये ताक़त है बुरी


तुमसे अब  भी आस है,रूबरू हो जाने की

जब तक ये आस है,तब तक शिकायत है बुरी


सबके आगे न सही,पर भीड़ मे तो साध लो

सीरत मेरी तुमसे जुड़ी,चाहे सूरत है बुरी


मैं तो चायक तेरा,आस फिर किस से करूँ

तेरी इबादत तुम समझो,”गुरु चरण”की आदत बुरी


“गुरु चरण”

Wednesday 16 March 2022

रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........(rango ka tyohar hai kya tum bhi manaoge)




रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........

बेरंग  मेरी जिंदगी में क्या रंग बन मिल जाओगे......

  एक रंग उम्मीद का  लगाना.....

 जो मैं तुमसे कोई वादा करूँ...

 तुम भी वो वादा निभाना.....

  गर वादा किया तो फिर अच्छे से निभाओगे......

  रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........


 एक रंग ख्वाबों का भी लगाना....

  मेरे पास आना और हल्का सा मुस्कुराना.....

आंखों से आँखें मिलाकर सपनों का महल सजाओगे....

 रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........


एक रंग हिम्मत का भी लगाना ...

मैं साथ खड़ा रहा तो कंधे से कंधा मिलाना......

दुनिया के दो- टूक सवालों का जवाब दे पाओगे....

रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........


सब रंग मिल जाये तो और इश्क का रंग बन जाये .....

तो ये रंग मुझको जितना हो सके लगाना......

इस इश्क के रंग में .....फिर तुम भी रंग जाओगे

 रंगों का त्योहार है क्या तुम भी मनाओगे........

Tuesday 15 March 2022

मुझे जीना नही आता, मुझे मरना नही आता….(mujhe jeena nahi aata..mujhe marna nahi aata)…a poem by “guru”




मुझे जीना नहीं आता,मुझे मरना नही आता

सिवा तुम्हें याद करने के मुझे कुछ करना नहीं आता


मुझे हँसना नहीं आता,मुझे रोना नही आता

एक तुम्हें छोड़कर, मुझे किसी और का होना नही आता


मुझे चलना नही आता,मुझे रुकना नही आता

अगर तुम साथ ना हो तो गिरकर उठना नही आता


मुझे लिखना नही आता,मुझे बिकना नही आता

मैं टूटकर रोऊँ,सिवा तेरे किसी ओर को दिखना नही चाहता


“गुरू” को खुद अपनी लिखी बात को पढ़ना नही आता

मैं तुम्हें पा नही सकता और खोना भी नही चाहता


                                       “गुरू”

Monday 14 March 2022

नादान परिंदे बड़े हो गए….(nadan parinde bade ho gaye)… a poem by “guru”

 


नादान परिंदे बड़े हो गए

पैरों पर अपने खड़े हो गए 


साथ दिया जिनका आसमान बनकर हमने

आज पंख उनके,हम ही से बड़े हो गए 


मैंने चाहा कि वो अपनी क़ाबिलियत पहचान ले

दौड़ाया घोड़े सा उनको,और हम लँगड़े हो गए


वो उड़े ऐसे,की दूरियों का अहसास करवाकर ही माने

जो दरारें हम भरने चले थे वही खड्डे हो गए


नई उड़ान का चस्का इतना कि अकेले उड़ने लगे

ऊँचा इतना उड़े कि सारे रिश्ते छोटे हो गए


“गुरु” ऐसा ही रहा,हालत भले बद्द से बद्दतर हो गए 

समझाने लगे तो हम भी दुश्मन हो गए

सब जगह बस तुम ही तुम ..(sab jagah bus tum hi tum) a poem by “guru”

बाहर तुम,भीतर तुम,हर जगह बस तुम ही तुम

मुझमें भी मैं हूँ कहाँ, मुझमे भी बस तुम ही तुम..


धूप तुम,तुम छाँव हो,दर्पण भी तुम,तुम्ही अक्स हो

हो तुम्ही पत्ते,फूल,फल,लहलहाता दरख्त तुम...


शौंक तुम,आदत भी तुम,आदि-अनादि अनन्त तुम

बारिश तुम,पतझड़ भी तुम,जिंदगी के बसन्त तुम



सूरज भी तुम,तुम चाँद हो,तारा भी तुम,गुलाब तुम

ज़ाम तुम,भगवान तुम,तुम सुबह और शाम तुम


तुम भी तुम,"गुरू" भी तुम,सृष्टि सकल कायनात तुम

ज़ज़्बात तुम,हालात तुम ख्वाब तुम मेरे दिल की बात तुम



                                                                                       "गुरू”

Friday 11 March 2022

बस तुम मेरे साथ हो ..bus tum mere sath ho “poem by guru”


चार बरस की सजा मुझे हो या आजीवन कारावास हो
बस तुम मेरे साथ हो मुझे इतना सा विशवास हो



रस्सी आवत जात तै सिल पर पड़े निशान
सील बने दुनिया सारी, मेरा रस्सी सा प्रयास हो



टूट-टूट के बिखरुं चाहे,उम्मीद है फिर जुड़ जाऊंगा
पानी जैसा हो धैर्य मुझमे,अग्नि जैसा अट्टहास हो



मुझसे किये वायदे सारे, मुझे भूल तुम्हे निभाने होंगे
धरती-पाताल चाहे जहाँ रहूँ, तुम्हारे हंसने का आभास हो



बस तुम मेरे साथ हो,मुझे इतना सा विशवास हो.......


                                                       
“गुरु”


Tuesday 8 March 2022

माया ......MAYA a poem by "guru"

                                                          माया


ऊपर से निचे तक सारे आबंध खोलकर

भीतर तक देख ली माया,अच्छे से टटोलकर
सन्तों के लाख वचन भी समझा नहीं पाये
कदमो को थाम बैठे तुम,माया के एक बोल पर

रंग में भले चमक,मगर बंदर सी सुंदर है
माया महाठगनी है तो लगती बेहद खूबसूरत है
ये एक हाथ,एक दिल में,नही बस पाई कभी
पागल ना बन इसके लिए ना झोल-झाल कर

ये माया नहीं तेरी,ना होगी कभी उसकी
सब के सब लड़ के मर गए,राक्षसो की हुई ना ऋषि मुनि की
माया में दम है कितना,आकर के मुझसे पूछो
देखी है हमने ताकते,गलियो में इसका रस्ता रोक कर

नागीन सा फन उठाती है ये बात बात पर
लोगो को जगाती है ये रात रात भर
वाकिफ है"गुरु"भी इसके शब्दों  से भली भांति
देखा है इसको हमने तराजू में तोलकर

बच्चों से क्या उलझना,हमसे मोल भाव् कर
ताक में बैठे है  हम छाती के बटनों को खोलकर
कब तक यूँ ही लोगो को पागल बनाओगी
आकर "गुरु"से भी नजरें दो-चार कर....

                                                                "गुरु"

Monday 7 March 2022

यकीं कीजिये...(Yakin kijiye...)

यकीं कीजिये

                               
यकीं कीजिये


आसां नही है...आंसू रोक पाना...यकीं कीजिये

आसां नही...तुमसे दिल लगाना...यकीं कीजिये

यकीं है हृदय को,मेरे बुलावे पर आए हो
सताया है छः माह,मनाने अब आये हो
आसां नही है...तुमसे रूठ पाना...यकीं कीजिये...

मैं भागा बहुत,दीद भर को तेरी
तेरी आँख-मिचौली,भीगी पलकें मेरी
आसां नही है...भीगी पलकें सुखाना...यकीं कीजिये

प्रेम तुमसे प्रिय,प्रसंग तुम ही रचो
घर आये हो सजन ,एक बार तो दिखो
आसां नही है...तुम्हे देखे बिन जी पाना...यकीं कीजिये

बिन सजनिया देखो,मैं बिरहा सह रहा हूँ
प्रेम मन मे समेटे,तुम्हे देखे बिन रह रहा हूँ
आसां नही है... "गुरुचरण" प्रेम निभाना...यकीं कीजिये
आसां नही है...तुमसे दिल लगाना...यकीं कीजिये


                                                                                  "गुरु"

Friday 4 March 2022

बिरहा यही है (Birha Yahi Hai)...

                                                                          बिरहा यही है....


बिरहा यही है....

मैंने जो सही है...बिरहा यही है....



हमसे पूछो के ये दिन हमने कैसे सहे हैं
आँखों मे आँसू लेकर,हम कैसे रहे हैं
मौज-बहारें सब तुमसे जुड़ी हो जब
कैसा फर्क फिर हम,जिये या मरे हैं...

इंतज़ार में सब रातें कटी हैं
बिरहा यही है...बिरहा यही है...

तुम्हारे समय मे शामिल,क्यों मैं नही हूँ
प्यारा नही हूँ,,,या तुम्हारा नही हूँ
प्यारा भी हूँ गर...तुम्हारा भी हूँ गर
तुम ही कहो फिर क्या,ये दूरी सही है

तेरी दीद बिन  मेरी सांसे थमी हैं
बिरहा यही है...बिरहा यही है...

न खाना ही भाता,न पानी दिल को पचता
सब कुछ वही है, पर अच्छा नही लगता
खुश तो नही मैं, पर रहता हूँ हंसता
तुम न मिलो तो फिर,मेरे पास है क्या बचता


मन मे ललक तेरी आँखों मे छवि है
बिरहा यही है....बिरहा यही है....

                                                                   "गुरू"

Thursday 3 March 2022

इतना सा व्यवहार है ( itna sa vavhar hai)

इतना सा व्यवहार है


 नज़र मिलाई,हाथ मिलाया

इतना सा व्यवहार है

मुँह में प्रशंसा,दिल में गाली
यही आज का शिष्टाचार है


कुछ जगत की देखा देखि,कुछ दुनियादारी का सार है
आज के सदाचार में,टीवी भी कुछ आधार है


लब-लब पर है मधुर शब्द,अंदर तीखी तेज़ कटार है
नोटों से है रिश्ते-नाते,नोटों से संसार है


प्रेम प्यार को फुर्सत कैसी,सब कुछ बस व्यपार है
नंगा ज़िस्म,नंगे नोट, देख लटकती लार है


कैसे संस्कार बने यहाँ,कैसा ये विस्तार है
फ़टे चिथड़ों में ज़िस्म जब,बिकता बिच बाज़ार है।।।।।

                                              "गुरू"

Tuesday 1 March 2022

जो नाराज है मुझसे,वो मुझसे दूर ही अच्छे.....( Jo naraj hai mujhse....vo mujhse door hi achhe...)

https://guruchk.blogspot.com


                            






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वो मुझसे दूर ही अच्छे


जो नाराज है मुझसे,वो मुझसे दूर ही अच्छे

उनकी सस्ती दवा से तो मेरे नासूर ही अच्छे

मगर इतनी समझ देना कि दोनों में फ़र्क़ समझें


अगर हीरे की ख्वाइश है तो फिर अहसास को समझो
कांच में तुम भी दिखोगे,इस विशवास को समझो
धुप में बिखर के तो चमकते कांच के टुकड़े भी है
अगर हीरे ही बने हो तो फिर जरा रात को चमको


बिना बोले जमाना सबको नया पाठ पढाता है
पैसा धुन बनाता है,जमाना साथ गाता है
कभी चाहत थी मेरी तो गरीबी मेरे साथ तुम चलती
अब मैं पैसा कमाता हूँ,मुझे हर कोई चाहता है


मैं लेकर होंसले के आँसू, लड़ा हूँ सदा खुदगर्जी से
रुलाया है बेहद मुझको,मेरी चाहत ने बेदर्दी से
मेरी हालत पर ना तुम रहम खाना मेरे मौला
मैं चाहता हूँ वो मेरे पास आये बस अपनी ही मर्जी से

अपनी ही मर्जी से.. अपनी ही मर्जी से.....        


                                                                           "गुरू" 


                                                   https://guruchk.blogspot.com