Friday 9 August 2019

अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में..(aksar padhta hu tumhe rato me) by guru

अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....

देखता हूँ कोरे कागज में तस्वीर तेरी
ओर पलटता हूँ पन्ने उस कहानी के
जो आपबीती है मेरी
आंखों में सपने,किताब हाथो में

अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....


पढ़ते-पढ़ते जब आँख थक जाती है
तब सूरत तुम्हारी मेरे सीने से लग जाती है
बिछकर मुझपर तेरे दुप्पट्टे की तरह वो किताब सो जाती है
 रखा क्या है बातों में..

अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....

करवट लेता हूँ तो बाहों में सहेज लेता हूँ..अहसास वही है
आँख खुलती है तो खोल लेता हूँ वही पन्ना,जिसमे उंगलिया दबी हैं

चेहरा दिमाग मे,,,हाथ मेरे हाथो में
अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....

सो जाता हूँ,,तकिये के नीचे छिपाकर तुम्हे
करके आँख बंद सोचता हूँ
"गुरू"मिलता क्या है तुम्हे

रखता हूँ यादों का बुकमार्क पन्नो में दबाकर
ताकि धुँधली न पड़े स्याही से सजे सपने,,,किन्ही हालातो में

अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....
अक्सर पढ़ता हूँ तुम्हे रातों में....

Thursday 9 May 2019

मेरा कोई नही...(mera koi nahi) by guru








मैं सबका मेरा कोई नही....

अक्सर थककर
छोड़कर दफ्तर
मैं आ जाता हूँ घर
ये सोचकर
कि कोई मेरा अपना मिलेगा यहाँ
पर मिलता नही
मैं सबका,,,मेरा कोई नही।।।

मेरे रंग में रँगकर रहने वाली मेरी परछाई
बुरे दौर में वो भी साथ ना आई
गुस्सा होकर
रो कर
भाव-विभोर कर देती है
कुछ मैं टूटा होता हूँ
कुछ वो कमज़ोर कर देती है...
जिसको समझो ताकत
बन जाती है वही कमज़ोरी नई
मैं सबका मेरा कोई नही।।

रोते चेहरों के साथ निकलती सुबह
रोज़ झगड़ों के साथ ढल जाती है
शायद मेरे ही कदम मनहूस हैं गुरू
जहां जाता हूँ उदासी बिखर जाती हैं
रोज़ बन्द होती ज़रूर हैं आँखें, मगर सोई नही
मैं सबका,मेरा कोई नही

मेरी ज़िंदगी भी मुझसे तंग सी है
खुशियाँ तो हैं, मगर बेरंग सी हैं
इस से अच्छा होता कि मुझसे वो बंधती ही ना
वो मेरी वजह से यूँ बिलखती तो ना
उसने खंज़र चलाये हैं रूह पर मेरी,रोई नही
मैं सबका,,,,,,,मेरा कोई नही

यूँ मनमर्ज़ी से रिश्ते निभे तो क्या बात है
मैं उसकी मर्जी से उसके साथ हूँ,वो अपनी मर्ज़ी से मेरे साथ है
सबके होने  से जीवन मे खालीपन ना होता
यूँ तन्हा बैठकर घर की चोकठ पर  मैं ये सब लिखता ना होता
मगर यही जिंदगी है ,,,भले रुसवाइयों से भरी है
यहाँ सबकी झोली में कहाँ खुशियां पड़ी हैं
वो पहले के वायदे वो अब भूल गये
ये न कहना,वो न कहना मेरा कहा वो सब भूल गए
उनकी भूली बातें भी मुझे याद रही
मैं सबका,,,,मेरा कोई नही,,,,

Thursday 28 March 2019

Dil me ghar,...दिल मे घर....💐(by guru)

उसकी बात मेरे दिल मे घर कर गई
उसने झूठा सन्देसा भेजा कि वो मर गई

इतनी तो सस्ती नही मोहब्बत यकीन मानिए
कि चार बातें सुनी और डर गई

मेरे जिंदा रहते वो मर जाये ये मुमकिन नही
पहले भी ऐसा मज़ाक करके वो कई बार मुकर गई

तेरी साँसे कम पड़ें तो मेरी साँसों को सुनना
महसूस होगा कि मेरी सांसें तेरे दिल मे उतर गई

रोज़ फोन करने का ठेका बस "गुरू" का थोड़े ही है
कल मत कहना कि नाराज़गी भारी पड़ गई

उसकी बात मेरे दिल मे घर कर गई
उसने झूठा सन्देसा भेजा कि वो मर गई

"गुरू"

Wednesday 23 January 2019

Nadani....नादानी (by guru)

मुझसे ऐसी भी ना नादानी हो
कि किसी ओर से बेमानी हो

नज़रों में इतना भी ना गिरा
 पुरानी तस्वीरें देख के हैरानी हो

मोहब्बत के नाम पर दिल्लगी मंज़ूर नही
मुझसे करे मोहब्बत तो मेरी ही दीवानी हो

जज़्बाती हूँ,हालात नही संभलते मुझसे
ज़रूरी नही कि वो हर बार सयानी हो

आशिक नया,महबूब नया,आशिकी नई
उम्मीद रहती है कि मोहब्बत पुरानी हो

पेड़ो की सजावट में फूल नही काटे जाते
ज़रूरी नही खुशबू से भी बागबानी हो

यहाँ बाज़ारों में सिंदूर सस्ता बिकता है
मत बताओ तुम कितना खानदानी हो

"गुरू"के तेवर को बग़ावत भी मंज़ूर
ज़रूरी नही कि हर बार ग़ुलामी हो

"गुरू"