ग़ज़ल में छिपी एक बात है
हर ग़ज़ल तेरी याद है
आँसू से भरे मेरे महखाने
तुझसे ही आबाद है
दूर होकर रोना कैसा
अब तो तूँ आज़ाद है
सबसे अज़ीज़ हसरत मेरी
गिनती में वो भी तेरे बाद है
हर एक ग़ज़ल में दर्द लिखा है
लफ़्ज़ तेरे,मेरा हाथ है
उस से होगा रिश्ता तेरा
“गुरु” से तो जज़्बात है…