नज़रों के रस्ते होकर दिल में बस पाओगे क्या
हम तुम्हें लिखते हैं,तुम पढ़ पाओगे क्या…..
जो बोलोगे,मुझे क़बूल लेकिन अब बारी मेरी है
हर वक्त तुम्हें सोचते हैं,तुम सुन पाओगे क्या….
माशा अल्लाह-तेरी समझ पे जी सदके दिलदार मेरे
हम कुछ कहना चाहते हैं,तुम समझ पाओगे क्या.
सारी दुनिया रुसवा करके..पास तुम्हारे आ भी गए
हम तुम्हारे होना चाहते हैं,तुम हमारे बन पाओगे क्या….
लिए चुरा सब बोल तेरे,”गुरू” क़लम ने तेरी स्याही के
रिश्ते को आदत नाम दिया,रिश्ते में बँध पाओगे क्या
“गुरू”