किसी कीमत पर बिकने को तैयार नहीं
अपनाकर छोड़ा,छोड़कर अपनाया फिर ठुकरा दिया
महबूब हूँ किसी नाटक का किरदार नहीं
ना चाहा तूने तो कहीं और चला जाऊँ
होगा व्यपार कोई,मगर प्यार नहीं
क़त्ल का शौंक हो तो,जिस्म इस्तेमाल करो
कहते हैं निगाहो से खतरनाक कोई हथियार नहीं
दिल ही दिल में चाहकर कभी कहा ही नहीं
या तो तेरी नियत में खोट है या तुम्हे प्यार नहीं।।
‘गुरू’