Wednesday 23 January 2019

Nadani....नादानी (by guru)

मुझसे ऐसी भी ना नादानी हो
कि किसी ओर से बेमानी हो

नज़रों में इतना भी ना गिरा
 पुरानी तस्वीरें देख के हैरानी हो

मोहब्बत के नाम पर दिल्लगी मंज़ूर नही
मुझसे करे मोहब्बत तो मेरी ही दीवानी हो

जज़्बाती हूँ,हालात नही संभलते मुझसे
ज़रूरी नही कि वो हर बार सयानी हो

आशिक नया,महबूब नया,आशिकी नई
उम्मीद रहती है कि मोहब्बत पुरानी हो

पेड़ो की सजावट में फूल नही काटे जाते
ज़रूरी नही खुशबू से भी बागबानी हो

यहाँ बाज़ारों में सिंदूर सस्ता बिकता है
मत बताओ तुम कितना खानदानी हो

"गुरू"के तेवर को बग़ावत भी मंज़ूर
ज़रूरी नही कि हर बार ग़ुलामी हो

"गुरू"