Monday 28 February 2022

तुझमे कुछ नहीं पगली मुझमे लाख खामियां है (tujhme kuchh nahi pagli mujhme lakh khamiyan hai)

                                                        खामियाँ (khamiyan)


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तुझमे कुछ नहीं पगली मुझमे लाख खामियां है

तेरा जीवन कामयाबी,मेरी किस्मत में नाकामियां है
तुम तो खामखां ही मुझसे बैठी चूं-चूं करती हो
तेरे कदमो में जो दुनियां हैं,वो मेरे ख्वाबो की दुनिया है

तोड़ दुनिया की रस्मो को मैं तुम्हे चाह तो सकता हूँ
जैसे तैसे भी हो सम्भव,मैं तुमको पा तो सकता हूँ
इस रिश्ते को चाहकर के भी मैं सम्भाल नहीं सकता
तुम समझो या ना समझो,मैं तुमको बता तो सकता हूँ

जब चलने की नही हिम्मत,पाँव की जंजीर तब टूटी
जब सबसे ज्यादा जरूरत थी,मेरी उम्मीद तब टूटी
यूँ तो किस्मत पर मुझे ,मेरी पक्का भरोसा था
पर जहाँ सबने मुझे छोड़ा,मेरी किस्मत वहां फूटी

मैं सच सच कह नहीं सकता की तुमसे प्रेम कितना है
मेरी दुनिया है उतनी सी,तेरा आगोश जितना है
तेरी आँखों में आकर अक्सर,कोई आंसू छलका होगा
तेरी दुनिया में मेरा वजूद उस आंसू के जितना है

“गुरू”

Sunday 27 February 2022

ओह,,,, तुम हो,,,,,(oh...tum ho............)


 


ओह,,,, तुम हो,,,,,


जो जिम्मेदारी से सारा परिवार सम्भालती हो
सबसे पहले जगकर घर-बार सम्भालती हो
ओह----तो तुम हो

अपने हाथों की चाय से सबके दिन की शुरुआत करती हो
सुबह शुरू होकर रात तक काम करती हो
रसोई को ही अपना घर समझती हो
घर मे घूमने को ही पार्क की सैर समझती हो
जो रेडियो,टीवी कम और माँ-बाबूजी की आवाज ज्यादा सुनती हो------

ओह---तो तुम हो।।।


चौबीस घण्टे चौकस रहकर भी हंसती रहती है
सारा दिन व्यस्त रहकर भी 'घर मे काम ही क्या है' कहती है

जिसे टेक्नोलॉजी ओर संस्कार दोनों का ज्ञान है
जिसके लिए घर ही तीर्थधाम के समान है
माँ के साथ zee tv भी देखती है और बाबु जी के साथ सत्संग भी
जिम्मेदारी का अहसास है और बड़कपन,लड़कपन भी
जिसके पास खुद के लिए वक्त नही होता
ओह---तो तुम हो।।।।

जो सब काम करके भी डांट खाने को आशीर्वाद कहती हो
जो खुद से ज्यादा मुझे सहती है
एक दिन भी यहाँ-वहां हो तो जिसकी कमी अखरती है
जो मुझसे ज्यादा मुझे समझती है
जिसे मेरी खुशियाँ ही अपनी खुशियां लगती हैं
ओह---तो तुम हो।।।

जो टिवी का रिमोट मेरे पास जानबूझकर भूल जाती है
मेरे नहाने से पहले पानी, तौलिया, साबुन सब धर आती ही
जो मेरी पसंद के भोजन को अपनी पसंद बना बैठी
आधी रात को मेरी खातिर चुल्हा सुलगा बैठी
ओह---तो तुम हो।।।।।


सब जिससे प्यार करते हैं
मुझसे ज्यादा जिसपर विश्वास करते हैं
मुझसे ज्यादा जिसकी चिंता करते हैं
जिसके साथ रहकर मां-बाबुजी जिसका ध्यान रखते हैं

ओह---तो तुम हो।।।।।।

तुम आई तो झांझर से नींद खुली
दिल खुश हुआ कि तुम मिली
"गुरू"हुआ प्रसन्न प्रिय"ऋतु"तुमको पाकर
तुमने घर को बना दिया स्वर्ग मेरे घर आकर।।।

“गुरू”

Saturday 26 February 2022

मेरा दिल है दिल,तेरे शहर का बाज़ार नहीं (Mera dil hai dil,tere shehar ka bazar nahi)



 

किसी कीमत पर बिकने को तैयार नहीं

मेरा दिल है दिल,तेरे शहर का बाज़ार नहीं

अपनाकर छोड़ा,छोड़कर अपनाया फिर ठुकरा दिया
महबूब हूँ  किसी नाटक का किरदार नहीं

ना चाहा तूने तो कहीं और चला जाऊँ
होगा व्यपार कोई,मगर प्यार नहीं

क़त्ल का शौंक हो तो,जिस्म इस्तेमाल करो
कहते हैं निगाहो से खतरनाक कोई हथियार नहीं

दिल ही दिल में चाहकर कभी कहा ही नहीं
या तो तेरी नियत में खोट है या तुम्हे प्यार नहीं।।

                                                                     ‘गुरू

Friday 25 February 2022

क्या होगा (kya hoga) by Guru

 मुलाक़ात कर,बात कर, नज़रे दिखाने से क्या होगा

अपने ख्याल जोड़ कागज़ पर,मेरे ख्याल चुराने से क्या होगा

कहा ना लफ्जो में गर कुछ भी,दिल में चाहने से क्या होगा
जिस दिल में कोई पहले बसा हो,उसमे मुझे बसाने से क्या होगा

मुहब्बत दफन सीने में,कभी हमसे ना कहा कुछ भी
सामने आ,इज़हार कर,दिल में छिपाने से क्या होगा

किसी शायर के नगमो को पढ़ना आम सी बात है
समझ लिखा क्या है,लफ्ज़ चुराने से क्या होगा

पता तुमको भी है सबकुछ,खबर मुझको भी है सारी
अब तलक कुछ ना हुआ,आगे बताने से क्या होगा

ख्याल में साथ मेरे तुमने मेरे कई पल गुज़ारे होंगे
नज़रों से मिलकर,हक़ीक़त में दो पल बिताने से क्या होगा

उम्र की आग ही ऐसी है,जलती है जलाती है
अपने साथ इस आग में मुझे जला दोगे तो क्या होगा

जब सपने खुद हक़ीक़त में बदलने को तैयार बैठे हैं
फिर हक़ीक़त को सपनो में बदलने से क्या होगा

समझदार हो तुम भी कोई नादान तो नहीं हो
समझे अब भी नहीं तो आगे समझाने से क्या होगा।।।।


                                                                 "गुरू"

Tuesday 22 February 2022

कही सुनी सी बात (kahi suni si baat) by guru

 


दिल में जुड़ते रिश्तों पर होता है आघात

मन में धर लेता जब कोई,कही सुनी सी बात

रिश्तों में चमकता प्यार कभी,कभी अँधेरी रात
आँखों ही आँखों बतियाते,दिल की ये करामात

साजन के घर जाना कभी,ले खुशियों की बारात
सम्भव हैं बंट जाएंगे,दिल के दो दो हालात

कांच सा बिखरा दिल प्यारा,प्यार की ये सौगात
ज़नाज़ा कहूँ प्यार का,या आंसुओ की बारात

टूटे दिल मिल जाएँ तो,बंट जायेंगे ज़ज़्बात
कान के कच्चे तोड़े रिश्ते ,कहाँ गया विश्वास।।

                                                            


"गुरू"