Thursday 20 July 2023

देखा आधे चाँद को

दामन ढकते देखा हमने रात भर आसमान को 
आपके आगे शर्माते देखा आधे चाँद को 

टूटते तारों को देख सब दीदार आपका माँगते 
रोज़ छज्जे पर आकर बख्शा करो तारों की जान को 

रोज़ गर मुनासिब ना हो तो बेशक कभी-कभी
देखकर या सोचकर तुम्हें,दिल को मिलता थोड़ा इत्मीनान तो 

तुमने बस एक नज़र घूरा जो उसको घड़ी दो घड़ी
“गुरु” ने देखा है झुक कर टूटते फूलों के ग़ुमान को