बिरहा यही है....
बिरहा यही है....
मैंने जो सही है...बिरहा यही है....
हमसे पूछो के ये दिन हमने कैसे सहे हैं
आँखों मे आँसू लेकर,हम कैसे रहे हैं
मौज-बहारें सब तुमसे जुड़ी हो जब
कैसा फर्क फिर हम,जिये या मरे हैं...
इंतज़ार में सब रातें कटी हैं
बिरहा यही है...बिरहा यही है...
तुम्हारे समय मे शामिल,क्यों मैं नही हूँ
प्यारा नही हूँ,,,या तुम्हारा नही हूँ
प्यारा भी हूँ गर...तुम्हारा भी हूँ गर
तुम ही कहो फिर क्या,ये दूरी सही है
तेरी दीद बिन मेरी सांसे थमी हैं
बिरहा यही है...बिरहा यही है...
न खाना ही भाता,न पानी दिल को पचता
सब कुछ वही है, पर अच्छा नही लगता
खुश तो नही मैं, पर रहता हूँ हंसता
तुम न मिलो तो फिर,मेरे पास है क्या बचता
मन मे ललक तेरी आँखों मे छवि है
बिरहा यही है....बिरहा यही है....
"गुरू"