Monday 9 January 2023

Mujhe fir se chaho mat…. मुझे फिर से चाहो मत Apoorn by guroo


 उलझी-उलझी सी ज़िंदगी,और उलझाओ मत

झूठे मन से मोह लगाके,मुझे फिर से चाहो मत


नेह लगाके प्रियतम तुमसे,झूठी “हाँ” को “हाँ”माना

बनके गुलाबी डोर सखी,पतंग सा उड़ाओ मत

झूठे मन से मोह लगाके,मुझे फिर से चाहो मत


तन बाँटा कइयों में,मन तक में आज कोई और सखी

“अब भी मेरी हो” बोल-बोलकर,मुझे चिढ़ाओ मत 

झूठे मन से मोह लगाके,मुझे फिर से चाहो मत


तन सबका,मन उसका, धन-धन “गुरु” से कहना क्या

मुश्किल से तो दूर किया है,फिर से दिल में समाओ मत

झूठे मन से मोह लगाके,मुझे फिर से चाहो मत


गुरु