मुझे जीना नहीं आता,मुझे मरना नही आता
सिवा तुम्हें याद करने के मुझे कुछ करना नहीं आता
मुझे हँसना नहीं आता,मुझे रोना नही आता
एक तुम्हें छोड़कर, मुझे किसी और का होना नही आता
मुझे चलना नही आता,मुझे रुकना नही आता
अगर तुम साथ ना हो तो गिरकर उठना नही आता
मुझे लिखना नही आता,मुझे बिकना नही आता
मैं टूटकर रोऊँ,सिवा तेरे किसी ओर को दिखना नही चाहता
“गुरू” को खुद अपनी लिखी बात को पढ़ना नही आता
मैं तुम्हें पा नही सकता और खोना भी नही चाहता
“गुरू”