Sunday 5 March 2023

हंस…hans


 ग़ुरूर तौबा कि तुमपर बगुले लाख मरते हैं

मगर ये समझो वो बगुले कइयों पर आँख रखते हैं

भले “गुरु “तुम्हारी आँख को कई साल खलता था

मगर एक हंस था जो बस…और बस 

तुम्हीं पर मरता था……


मोहब्बत.......MOHABBAT

 



 चेहरे पर मुस्कान ,दिल में बेक़रारी हो रही है

शायद पुरानी मोहब्बत नई नफ़रत पर भारी हो रही है 


“गुरु”