ग़ुरूर तौबा कि तुमपर बगुले लाख मरते हैं
मगर ये समझो वो बगुले कइयों पर आँख रखते हैं
भले “गुरु “तुम्हारी आँख को कई साल खलता था
मगर एक हंस था जो बस…और बस
तुम्हीं पर मरता था……
मगर ये समझो वो बगुले कइयों पर आँख रखते हैं
भले “गुरु “तुम्हारी आँख को कई साल खलता था
मगर एक हंस था जो बस…और बस
तुम्हीं पर मरता था……