तेरी याद में पीऊँगा चाय
जब तक तेरी याद ना जाए
डरने कि क्या बात है आदत
रात जाये फिर से दिन आए
वो साल बाद भी अपना है जब
फिर खोने पर रोना काहे
चाय पी-पी फुकूँगा मैं छाती
दुःख जितना हो बँटाया जाए
वही करना जो सही लगे तुम्हें
“गुरु”की इच्छा घर बच जाए
तेरी याद में पीऊँगा चाय
जब तक तेरी याद ना जाए