जब सच में मुझसे प्यार करोगी
छत पर मेरा इंतज़ार करोगी…
मैं आऊँ या ना आऊँ मिलने
छत पर पागल सी फिरोगी
मेरी “ना”चाहे लाख बार हो
तुम “हाँ”हर बार करोगी
मुझमें ही तुम्हें चाँद दिखेगा
कमी सारी दरकिनार करोगी
हर जगह नज़र मैं ही मैं आऊँगा
रातों को मेरे लिये बेक़रार रहोगी
बाज़ार में नये आशिक़ रोज़ मिलेंगे
आँखें बंद कर रास्ता पार करोगी
साल दो साल चाहे जितना मन बहलालो
ज़रूरत में “गुरु” को याद करोगी