बदलता है जब भी मौसम,तुम्हारी याद आती है
धूप से शाम होती है ,तुम्हारी याद आती है
ऐब दो पाल रखे हैं , एक तुम और एक तुम्हारे रंग की चाय
चाय को समझकर जाम पीता हूँ ,तुम्हारी याद आती है
जाकर बैठ गए तुम दूर,दिल के भेद कहूँ किस से
आधी रात सताए याद तो बात करूँ किस से
छाती रख सिरहाना जब आराम लेता हूँ,तुम्हारी याद आती है
रात को सोए-सोए ही बिस्तर पे तुम्हें हाथों से ढूँढना
जागकर नींद से तुमको तुम्हारी खैरियत पूछना
आदत हो बुरी बेशक मगर दिल को लुभाती है
रात से भौर होती है,तुम्हारी याद आती है
मुकरर दिन से पहले मायके से लौट आओ तो ये मानू
आते ही करो बंद दरवाजे,गले लग जाओ तो ये मानु
जितनी मुझको आती है उतनी ही तुम्हें भी याद आती है
तुम्हारी याद आती है,तुम्हारी याद आती है,,,,,,