Saturday 21 January 2017

जिंदगी

जिंदगी बदल सी गई है
ना ही गलती तेरी ना ख़ता मेरी है
जिंदगी बदल सी गई है

याद है मुझको वो छत से  तुम्हारे इशारे
कट जायेगी जिंदगी अब इन्ही यादों के सहारे
बड़े गहरे समंदर में लाकर फंसाया तुमने मुझे
दूर दूर तक नहीं दिखाई देते किनारे

न जाने कैसी उलझन दिल में खड़ी है
न गलती तेरी न ख़ता मेरी है

चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल में नमी है
सब मिल गया फिर भी खलती तेरी कमी है
मैं ही जानता हूँ मेरा हाल क्या है पगली
बाहर से हूँ जिन्दा,अंदर से सांसे थमी हैं

कैसे मिटे दिल पर तेरी सोच गहरी है
ना गलती तेरी ना ख़ता मेरी है


हम तुम चाहते तो हाल ना होता इस कदर
जैसे -तैसे मिलकर कर लेते गुज़र बसर
कांटे तब भी होते राहो में प्यारी मगर
साथ में तो रहकर करते तय पूरा सफर

चेहरा तेरा उदास,आँखों में मेरी भी नमी है
ना गलती तेरी ना ख़ता मेरी है


देखने से लेकर इशारो तक का सफर
बातो से लेकर मिलने तक का सफर
छत से लेकर तेरी शादी तक का सफर
यादो में चलेगा मेरी समाधि तक ये सफर


मेरे दिल में अब भी बसती सूरत तेरी है
ना गलती तेरी और ना ख़ता मेरी है।


"गुरू"के दिल में तेरी सूरत अब ना बदलेगी कभी
तेरी छवि,हंसी और तेरी कमी,मेरे साथ चलेगी सभी
तुम थी,तुम हो,तुम रहोगी मेरे साथ हमेशा यों ही
साथ कोई भी हो उसमे देखूंगा बस तुम्हें ही


जिंदगी की हर घड़ी बस तुमसे सजी है
ना गलती तेरी और ना ख़ता मेरी है।।।