Friday 31 March 2017

गैरो की बाँहों

जाते जाते भी मुझसे दगा कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

विदाई से पहले बात जी भर की मुझसे
जाते-जाते तन्हाई में किसी ओर से मिल गई
गैरो की बाँहों में वफ़ा कर गई

यूँ तो सब थी खबर,ना बताया मगर
जुबाँ से अपनाया, दिल से मुकर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

आज भी लोग जानते है तुम्हे मेरे नाम से
मुझसे बेवफाई,किसी से वफ़ा,किसी से विवाह कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

तुझे बद्द दुआ देने को अब भी दिल राजी नही
सदमे में हूँ तुम इतना बुरा मेरे संग कैसे कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

दो ही दिन थे शादी के,फिर जितना मर्जी बिखर लेती
अंदाजा नही तुम्हे तुम क्या कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

"गुरू"की आँखों में इतना उजाला न आया समझ
स्वर्णा समझी थी,रेत सी बिखर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई