टूट गए थे इश्क़ में एक बार थोड़े बहुत
फिर दिल टूटा तो बदले में तोड़े बहुत
मुझे पत्थर कहकर वो मुसकाए लाख भले
मेरे मोम से दिल ने खाए हैं हथोडे बहुत
जो बेहोश हुए तो फिर कहाँ होश आया
लेके आग़ोश में अपनी झँझोड़े बहुत
बस तेरा आँकड़ा छू नही पा रहा है “गुरू”
कर-कर के इश्क़ झूठे हमने भी छोड़े बहुत
“गुरू”