Thursday 14 April 2022

क्या मिला मेरा शहर छोड़कर..kya mila mera shehar chhodkar “a poem by guru”




 मीठी सी ज़िंदगी में ज़हर घोलकर

क्या मिला तुझे मेरा शहर छोड़कर


कभी-कभार मिलने आने का वायदा

क्या मिला मुझसे संगीन झूठ बोलकर


गुजरात का जोहरी,मेरा हीरा परख गया

मेरा सब बिक गया तेरी यादें छोड़कर


तेरा पुराना घर मेरे लिए दरगाह ही समझ 

तेरी छत्त निहारता हूँ मेरी छत्त से आँखे खोलकर


हँसना,कभी रोना,मुनासिब हो तो मिलना कभी 

“गुरू” को देखना रिश्तों की गाठें खोलकर