Saturday 13 January 2018

जीते जी मर जाऊँ कैसे

ख़ुद का बोझ उठाऊँ कैसे
जीते जी मर जाऊँ कैसे

तन से तो हम दूर हुए सखी
मन से तुम्हें भगाऊँ कैसे
जीते जी मर जाऊँ कैसे

यूँ तो सब कुछ बहुत अच्छा है
पर ख़ुद को ये समझाऊँ कैसे
जीते जी मर जाऊँ कैसे



हर तरफ़ तुम ही तुम दिखती हो
नज़रें तुमसे चुराऊँ कैसे

बंद नैनो में भी तुम बंद हो
इसका समाधान लाऊँ कहाँ से
जीते जी मर जाऊँ कैसे

‘गुरू’रोग का दर्द तुम्हीं हो,मर्ज़ तुम्हीं हो
ये दुनिया को बतलाऊँ कैसे
जीते जी मर जाऊँ कैसे