Sunday 19 December 2021
राज़ पुराना रखा (raj purana rakha) by guru
Wednesday 1 December 2021
आदत…(aadat) by guru
आदत
अक्सर पूछ लेती हो
कि हमारा क्या रिश्ता है ???
एक दूजे के लिए दिल मे इतना प्यार क्यूँ बस्ता है ???
भरी भीड़ मे देख के तुझको मेरा दिल हँसता है
बिन तुझसे बात किया एक दिन भी नहीं कटता है
तेरे मेरे बीच मे.....”आदत” का रिश्ता है....
तुम मेरी ओर मैं तुम्हारी आदत हूँ ....
आदत जो छुड़ाए नहीं छुटती
जिसे सब कहें की बुरी लत है
छोड़ दो...नुकसान देने वाली आदत है
लेकिन...सब जानकर भी...सच मान कर भी...
मन मार कर ही ...
ये ललक नहीं छुटती...
हम बुरे ही सही...मगर
एक दूसरे की आदत नहीं छुटती...
इस आदत के बिन ज़िंदगी मे क्या बचता है ...
आदत बुरी सही...भली सही ...लेकिन
यही रिश्ता है....
एक दूजे से करने को जब बात ही नहीं होती
तो भी भला हम बात क्यूँ करते हैं
एक दूजे संग हँसकर हम दोनों
अपनेपन का एहसास क्यूँ करते हैं
क्यूंकी हमे आदत है .....एक दूसरे की.......
इतनी तो मोहब्बत नहीं की देखना जरूरी हो
विडियो काल पर आँखें सेंकना ज़रूरी हो
लेकिन .....एक दूजे को देखे बिन
दिन तो ढल जाता है....पर रात नहीं होती............
क्यूंकी हमे आदत है एक दूसरे की ...
वो राज भी हम आपस मे बाँट लेते हैं
जो दूसरों से ताउम्र छिपाते रहे हैं
मज़ाक से लेकर हवस तक
एक दूसरे की चाहतों मे निभाते रहे हैं .....
काम आते रहे हैं ...
क्यूंकी ...हमे आदत है एक दूसरे की.....
हवस से शुरू हुआ हमारा रिश्ता
नफरत को पार करते हुये
आदत तक आ पहुंचा है
बस ...रिश्ते को निभाने की दोनों तरफ से
चाहत बनी रहे.....
ताउम्र “गुरू” ओर तुम्हारी
ये आदत बनी रहे............
आदत बनी रहे.........
‘गुरू’
Monday 18 October 2021
एक पुरानी तस्वीर…(ek purani tasveer) by guru
एक पुरानी तस्वीर...
जिसमे तुम नही हो....पर हो
और मैं हूँ तो सही...पर नही हूँ
सालों पुरानी ये तस्वीर ,तुमसे रिश्ते की याद है
पुरानी है...खास है...
इसी तस्वीर को तुमने सबसे पहले देखा था
यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है
तुम रस्ता भूल गई..मैं आज भी वहीं हूँ ...
एक पुरानी तस्वीर...
जिसमे तुम नही हो....पर हो
और मैं हूँ तो सही...पर नही हूँ
तुम...आज भी फोन की गैलरी में समाई हो
क्यों????क्या?? कभी समझ पाई हो??
इस फोन के पासवर्ड के अंदर का धन हो तुम
बड़े प्यार से छिपाई हो
मेरे नैनो की हर तस्वीर में....मेरी तकदीर में
तुम नही हो....पर हो
और "गुरू" है तो सही...पर नही है....
Friday 8 October 2021
इश्क़ की ग़लतियाँ (ishq ki galtiyan) by guru
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अलबेला मौसम,अनजाना शहर है कप में चाय,आँखों में ज़हर है बिखरे बाल,खुले बटन,चढ़ी बाजूएँ सफ़ेद शर्ट पर तेरी घड़ी क़हर है धीमी बरसात,हल्के बादल...
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तेरी क़िस्मत में पक्के थे हम हमे काश बनाने वाले तुम तेरे भोले-भाले आशिक़ थे हम आशिक़ से अय्याश बनाने वाले तुम सामने बैठकर आज तलक भी हमे स...
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देखने मुझे,अपनी छत पे आया करो ढूँढो मुझे,मेरा नाम चिल्लाया करो तुम ऐसा करो,मुझे बदनाम कर दो बहुत कह लिया,अब करके दिखाया करो जेब,फ़ोन,दिल,...