तेरी क़िस्मत में पक्के थे हम
हमे काश बनाने वाले तुम
तेरे भोले-भाले आशिक़ थे हम
आशिक़ से अय्याश बनाने वाले तुम
सामने बैठकर आज तलक भी
हमे समझ कहाँ कोई पाया था
शतरंज के वज़ीर-बादशाह हम थे
हमे गड्डी वाले ताश बनाने वाले तुम
तेरे भोले-भाले आशिक़ थे हम
आशिक़ से अय्याश बनाने वाले तुम
बरसाती अंबर के अंदर तारे गिनना बंद करो
अब मेरी महबूबाओं की गिनती गिनना बंद करो
ख़ुद चाहो जो मर्ज़ी कहदो तुम मुझसे
मन ही मन के अंदर मुझको सुनना बंद करो
चाँद सा बनकर पल-पल तुमसे बतियाता था
आवारा आकाश बनाने वाले तुम
तेरे भोले-भाले आशिक़ थे हम
आशिक़ से अय्याश बनाने वाले तुम
तड़प-तड़प कर जी लेंगे
होगा इस से ज्यादा क्या
मन में लेकर मैल मिलो तुम
इस मिलन का फ़ायदा क्या
“गुरु”जीता जागता सपना था
मुझे लाश बनाने वाले तुम,….
तेरे भोले-भाले आशिक़ थे हम
आशिक़ से अय्याश बनाने वाले तुम
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