Sunday 2 February 2020

मुझे “तुम”बनना है....Mujhe tum banna hai ...(by guru)

मुझे “तुम” बनना है....

तुम..जिसके लिए मुझे भुलाना आसान हो
मुझसे दूर जाना आसान हो....
मुझे देखकर मुँह फेरना आसान हो...
नज़रे चुराकर नज़रे फेरना आसान हो...
बताओ...ऐसा बनने के लिए क्या-क्या करना है
मुझे “तुम” बनना है.

तुम..जो मुझे हमेशा शक के दायरे में रखे
सामने दुखी और तन्हाई में चहके
खुश हो मुझे दुखी करके
भूल जाये मुझे कुछ भी कह के
आंख भी ना झलके मुझसे दूर रहके
मुझे सिखाओ कि अपने वचनों से कैसे मुकरना है
मुझे “तुम” बनना है

कैसे व्हाट्सएप्प पर ब्लॉक किया जाता है
कैसे न.बदलकर बात करने का सिलसिला रोक दिया जाता है
कैसे झूठ बोल लेती हो कि मै फेसबुक पर नही हूँ
कैसे फोन करके  बैक काल करने से टोक दिया जाता है
अपनी ही नज़रों में ओर कितना नीचे गिरना है
मुझे “तुम” बनना है

दिखाई न दो,इसलिए छत पर आना छोड़ दिया जाता है
कैसे सालो का रिश्ता बीच मे ही छोड़ दिया जाता है
किसी ओर से रिश्ता बनाकर कैसे फ्रॉड किया जाता है
किसी के सुख को दुख में कैसे मोड़ दिया जाता है
सिखाओ ओर बताओ,,बदले में क्या अदा करना है
"गुरू" को ”तुम”बनना है
मुझे “तुम” बनना है

2 comments:

Unknown said...

love your poetries man.........

Virender with logics said...

तुम भी अगर वही बनोगे तो क्या फ़र्क रहेगा तुम में और मुझ में...???