Thursday, 20 July 2023

देखा आधे चाँद को

दामन ढकते देखा हमने रात भर आसमान को 
आपके आगे शर्माते देखा आधे चाँद को 

टूटते तारों को देख सब दीदार आपका माँगते 
रोज़ छज्जे पर आकर बख्शा करो तारों की जान को 

रोज़ गर मुनासिब ना हो तो बेशक कभी-कभी
देखकर या सोचकर तुम्हें,दिल को मिलता थोड़ा इत्मीनान तो 

तुमने बस एक नज़र घूरा जो उसको घड़ी दो घड़ी
“गुरु” ने देखा है झुक कर टूटते फूलों के ग़ुमान को

Tuesday, 18 July 2023

आँखों में ज़हर है…

अलबेला मौसम,अनजाना शहर है
कप में चाय,आँखों में ज़हर है 

बिखरे बाल,खुले बटन,चढ़ी बाजूएँ
सफ़ेद शर्ट पर तेरी घड़ी क़हर है

धीमी बरसात,हल्के बादल,ठंडी हवा 
मीठी चाय में तेरी याद कड़वा ज़हर है

यूँ छत पर तेरा बिना बोले आ जाना “गुरु”
मानो गर्म रेत पर ठंडी सागर की लहर है

Friday, 14 July 2023

आपकी आँखों के अंदर देखें हैं…aapki aankhon ke andar dekhe hain…

 दरिया संग मिलते समुंदर देखे हैं

आपकी आँखों के अंदर देखे है 


हल्के गुलाब की रंगत से बना चेहरा आपका 

केसर के टुकड़े घुलते,दूध के अंदर देखे हैं


सारा दिन अच्छा गया,जब एक नज़र देखा आपको 

मानो मिश्री के टुकड़े खाकर दही के अंदर देखे हैं 


हाए तौबा आवाज़ आपकी,अंतर्मन तक मार करे 

होंठों से निकले तीर चुभते दिल के अंदर देखे हैं


चेहरे पर नागिन सी लटकी,हल्के काले बालों की लट्ट तौबा

चाँद तारों से भरे अंधेरे,मिलते सूरज के अंदर देखे हैं 


दरिया संग मिलते समुंदर देखे हैं

आपकी आँखों के अंदर देखे है