तकदीर ने यह कहकर बङी तसल्ली दी है मुझे कि,
वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे जिन्हें मैंने दूर किया है..!!
तेरे अपने तो कभी तुझसे बिछड़ना ही नही चाहते थे
ढाकर सितम तूने ही बिछड़ने पर मजबूर किआ है
सच लेकर तेरे आगे पीछे डोलते हुए चाकर भी बने
दिखावे की मोहब्बत ने तुझे मगरूर किया है...
उन्हें अपनाना था तो किसी और से रिश्ता बनाया ही क्यू
एक तो चल बसा बेकसूर...दूसरे ने भी क्या कसूर किया है...
जो रिश्ते ना निभा पाया वो मोहब्बत क्या खाक निभाएगा
रिश्तो पर दाग लगाकर"गुरु"को चूर-चूर किया है......
वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे जिन्हें मैंने दूर किया है..!!
तेरे अपने तो कभी तुझसे बिछड़ना ही नही चाहते थे
ढाकर सितम तूने ही बिछड़ने पर मजबूर किआ है
सच लेकर तेरे आगे पीछे डोलते हुए चाकर भी बने
दिखावे की मोहब्बत ने तुझे मगरूर किया है...
उन्हें अपनाना था तो किसी और से रिश्ता बनाया ही क्यू
एक तो चल बसा बेकसूर...दूसरे ने भी क्या कसूर किया है...
जो रिश्ते ना निभा पाया वो मोहब्बत क्या खाक निभाएगा
रिश्तो पर दाग लगाकर"गुरु"को चूर-चूर किया है......
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