Sunday 16 August 2015

नाम ना हुआ

सब कुछ किया पर नाम ना हुआ,
‪‎मोहब्बत‬ क्या कर ली बदनाम हो गये...

बदनामी के चक्कर में चर्चे हजार हुए
मोहब्बत किसी की और कोई गुमनाम हो गए

हमे तो किसी की नजर में बड़ी चालाकी से गिरा दिया
खुद मशहूर दिखावे में सरे आम हो गए

तुमने तो दो बार महल बसाकर भी झोंपड़ी नहीं छोड़ी
हमने छत वापस मांगी तो हम भिखारी तुम रेहमान हो गए

मेहंगी हो गई माशूक फिर से अपना दाम खिलाकर
"गुरु"बना सच्चा तो ऊसके सस्ते दाम हो गए...

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