Tuesday, 28 June 2022

जो दिखाई देता है…a poem by “guru kataria”




वो हर बार सफ़ाई देता है

वो…वो नही है..जो दिखाई देता है…


झूठी मोहब्बत में ज़हर है,मुझे मालूम है

मैं आँख बंद करता हूँ,वो पिला ही देता है


दोस्ती से बढ़कर मैंने कुछ नही समझा

मेरे दोस्त को मेरा दुश्मन वो बना ही देता है


मोहब्बत है उस से,ग़लतियाँ भी सर माथे

मैं तो माफ़ी देता हूँ,पर वक़्त तबाही देता है


लाख”गुरु”नक़ली सही,असली झूठे आशिक़ सारे

अब ना पीछे से चिल्लाना,मुझे कम सुनाई देता है…..


                                                    “गुरू”

Monday, 20 June 2022

दिल तोड़े बहुत …dil tode bahut poem by guroo charan




 टूट गए थे इश्क़ में एक बार थोड़े बहुत

फिर दिल टूटा तो बदले में तोड़े बहुत


मुझे पत्थर कहकर वो मुसकाए लाख भले

मेरे मोम से दिल ने खाए हैं हथोडे बहुत


जो बेहोश हुए तो फिर कहाँ होश आया

लेके आग़ोश में अपनी झँझोड़े बहुत


बस तेरा आँकड़ा छू नही पा रहा है “गुरू”

कर-कर के इश्क़ झूठे हमने भी छोड़े बहुत


“गुरू”