Monday 3 April 2023

चाय….chay…a poem by guru

तेरी याद में पीऊँगा चाय

जब तक तेरी याद ना जाए


डरने कि क्या बात है आदत 

रात जाये फिर से दिन आए


वो साल बाद भी अपना है जब

फिर खोने पर रोना काहे


चाय पी-पी फुकूँगा मैं छाती 

दुःख जितना हो बँटाया जाए


वही करना जो सही लगे तुम्हें

“गुरु”की इच्छा घर बच जाए


तेरी याद में पीऊँगा चाय

जब तक तेरी याद ना जाए


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