Monday 3 April 2023

तुम ख़ास…हो…तो….हो ….

तुम ख़ास…हो…तो….हो

हम साथ…हो न हो
तुम पास…हो न हो…
ज़िंदगी कितनी ही कड़वी हो…मगर..
तुम मिठास …हो …तो…हो…

तुम ख़ास…हो…तो….हो

गले लगा कोई और हो
भले ही दिल में चोर हो…
पर उसके जिस्म में भी मुझे 
तेरा अहसास ….हो…तो…हो…

तुम ख़ास…हो…तो….हो


देह दूँ किसी को भी…
स्नेह दूँ…किसी को भी …
आदतों में तुम अव्वल
हवस की प्यास..तुम..हो..तो…हो

तुम ख़ास…हो…तो….हो

माह..साल..जब भी मिलो..
लिपट..लिपट के यूँ कहो…
“गुरु” चलो…अंदर चलें
फिर मुलाक़ात…हो..न..हो

तुम ख़ास…हो…तो….हो

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