Not just a blog...but whole love life of mine. (since 2013)
तेरे घर की छत को देख लिया
महीनों बाद लिखना शुरु किया
हम तो चाय छोड़ चुके थे
तुम्हें सोच के फिर बिस्मिल्लाह किया
तुमने तो बातें करनी छोड़ ही दी हैं
हमने भी अब आशा करना छोड़ दिया
तुमने ऐसी आस तोड़ी है
"गुरु" छत पर जाना लगभग छोड़ दिया
"गुरु"
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