छोड़ गुरु दुनिया के ख़यालात पर हैरान होना
ये बुरा भी कहते हैं और चाहते हैं तेरे जैसा होना
सच्ची मोहब्बत बोलकर जान लूटने वाले आशिक़
चाहत सबकी ही वही है; साथ हमबिस्तर होना
साफ़-साफ़ पूछोगे तो मुकर जाएँगे सबके महबूब
हवस को मोहब्बत कह दो;शुरू कर दो साथ सोना
हम साफ़ कहते हैं,चाहत हवस की थी,हवस की है
“गुरु” के बस में नहीं साल भर बोलना बाबू-शौना
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