Saturday 13 February 2016

मेरी कोई तमन्ना...

मेरी कोई भी तमन्ना कभी पूरी नहीं होती
क्योंकि मेरी हर तमन्ना का आखिरी हिस्सा तुम हो...

मेरे अंदर का बचपन मेरे इर्द गिर्द रहता है
मेरी प्रेम कथा पूरी करूँ,बस यही कहता है
पूरी कैसे करूँ,,, मेरी प्रेम कथा का आखिरी किस्सा तुम हो...

सबसे रिश्ता तोड़ लो,कहते हैं प्रेम दीवाने
मेरे मुकद्दर की मैं जानू, वो क्या जाने
किस से जोडूं,किस से तोडूं,मेरा हर रिश्ता तुम हो...

किस से क्या कहूँ,क्या हुआ मेरे प्रेम इम्तिहान का
धीरज में लूट गया,क्या फायदा हुआ इत्मिनान का
क्या इत्मीनान,क्या इमतिहां,मेरे प्रेम का नतीजा तुम हो....

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