Tuesday, 17 October 2017

दिवाली पर खास


इस दिवाली कुछ खास करते हैं
फिर से एक दूसरे पर विश्वास करते हैं

लोग बताते हैं तुम्हे मुझसे शिकायत बहुत है
चलो इस बार आपस मे बात करते है


ये तो सच है कि दूरियां समेटी नही जा सकती
फिर भी दिल से पास होने का अहसास करते हैं

पुरानी यादें साथ है या भूल गए हो
फोन मिलाओ,सारी रात बकवास करते हैं

ये ख्याल जाकर के कहीं दफन क्यों नही होते
हंसते-खेलते रिश्ते का सत्यानास करते हैं

हर बार "गुरू"ने जख्मो की बात की है
आज खुशियों का हिसाब करते हैं

इस दिवाली कुछ खास करते हैं
एक दूसरे पर विश्वास करते हैं।

Sunday, 8 October 2017

जन्मदिन

अपने जन्मदिन को बेकार मत करना
मेरी शुभकामनाओ का इंतजार मत करना

रस्ते बोल-चाल के तुमने बन्द किये हैं
कभी मिलो तो मुझसे तकरार मत करना

मुझे दिन भी याद है और तारीख़ भी याद है
पर तुमने कहा था,फोन बार-बार मत करना

करवाचौथ ओर ऊपर से जन्मदिन तुम्हारा
भूख मेरी,ओर लम्बी उम्र पर अधिकार तुम करना

"गुरू"तेरी मुस्कान पर सदके  वारि-वारि
मालिक मेरी प्रेम दुआएं स्वीकार तुम करना।


Tuesday, 1 August 2017

बस तेरी कमी के साथ..

पूरा आसमा मिला,मगर गीली ज़मीन के साथ
ये खेल खेलना था खुदा ने हम ही के साथ
कहने को देने वाले ने कोई कसर नही छोड़ी
सब कुछ दिया बस ....तेरी कमी के साथ

इस ज़मीं पर मुझसा दूसरा खुदा ने बनाया न होगा
मुझ जैसी तकदीर का हिस्सा किसी पर आजमाया नही होगा
अपने आप को किसी शहजादे से कम नहीं आंकता हूँ मैं
होंठो पर हंसी रखता हूँ,आँखों में नमी के साथ

 तेरी भी मुझसे ज्यादा किसी से बनती नहीं होगी
जोड़ी सिवा मेरे किसी से जचती भी नहीं होगी
तूँ आज भी मुझसे ज्यादा किसी को नही चाहती
जिंदगी गुजरेगी अब इसी गलत फहमी के के साथ

 कभी तो फोन कर खबर जान "गुरू"की
तुमने खत्म की मोहब्बत जो मैंने शुरू की
तेरी मज़बूरियों पर तो सो बार पर्दा किया था मैंने
मेरा ही दामन जला डाला तूने बड़ी बेरहमी के साथ

Tuesday, 6 June 2017

लगता है तु आस-पास कहीं है

शहर की हवा में खुशबू सी है
लगता है तु आस-पास कहीं है

सितारे भी आज ज्यादा चमक रहे हैं
अपनी मस्ती में परिंदे चहक रहे हैं
मेरा वहम है या सब सही है
लगता है तूँ आस-पास कहीं है

आज छत पर ठंडी हवा कैसे चल रही है
ये फूलों की डाल अपने आप क्यों खिल रही है
मौसम बदल गया या तबियत में कोई कमी है
लगता है तूँ आस-पास कहीं है

ये फ़िज़ा अपना रंग कब तक दिखाएगी
इंतेजार में हूँ,तूँ नज़र कब आएगी
"गुरू"को शुरू से तुम्हारी ज़रूरत रही है
अहसास होता है तूँ, आस-पास कहीं है।

तेरी मौजूदगी इस मौसम में शुमार तो है
इस दूरी में भी मुझे तुमसे प्यार तो है
मैं भी सही हूँ,मौसम भी सही है
ये दावा है तूँ आस-पास कहीं है

बस सफर तुम खत्म हुए,आकर एक दीदार पर

बस सफर तुम खत्म हुए,आकर एक दीदार पर
जिसको दिल से चाहा उसको जीते खुदको हार कर

सारे शहर में चक्कर काटे, काश कहीं मिल जाओ तुम
नहीं मिले तो रोकर बैठा,आखिर मन को मारकर

जब देखा तुम तो घर पर हो,खुद पर ही मुस्काया मै
खुद की गलती पर क्या करता,खुद ही खुद को झाड़कर

ध्यान तुम्हारा और कहीं था और मेरे नैनो में थी तुम
पलको में तुमको ले चले,नैनो में छवि उतारकर

अब तक मैं इंतेजार में हूँ,काश कभी ढूंढोगी मुझे
तेरे भी नैना बरसेंगे,"गुरू"के दीदार पर

Monday, 5 June 2017

मेरी याद तुम्हे रुलायेगी ज़रूर (Meri yaad tumhe rulayegi zarur)





मेरी याद तुम्हे रुलायेगी ज़रूर
मेरे फोन पर तुम्हारी काल आएगी जरूर

यादों को ज़ंग नही लगता
बात तुम्हे समझ आएगी ज़रूर

गिले-शिकवे,रुसवाईयाँ लाख  मुझसे
भूल के एक दिल मुझे मनाएगी ज़रूर

प्रेम या नफरत,जो रिश्ता मुनासिब मुझसे
नाम मेरा सुनकर मुस्कुराएगी ज़रूर

एक पल ऐसा भी आएगा ,वादा है तुझसे
  "गुरू"के लिखे गीत गुन-गुनाएगी ज़रूर

                                                                  "गुरू"

Monday, 29 May 2017

जिंदगी कैसी लगती है

मेरे सीने से लगकर रहने वाली ,अब कहो रातें कैसी कटती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

क्या अब भी मुझको याद करके नींद में ही मुस्काती हो
क्या अब भी सपनो में मुझसे मिलने आती हो
क्या मेरी कमी बाँहों में तुमको खलती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

क्या सुबह जागकर बिस्तर पर अब भी मुझे ढूंढती हो
क्या तकिये को मेरा माथा समझ प्यार से चूमती हो
साथ खड़े न हो हम-तुम तो दुनिया बेरंगी लगती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

क्या अब भी तुमको दर्पण में मेरी छवि दिखाई देती है
अब भी तन्हाई में मेरी आवाज सुनाई देती है
अब नैनो में मैं नहीं,कहो पलकें कैसे सजती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

क्या अब भी मेरे बिना तुम्हे सब खाली-खाली लगता है
क्या मेरी याद में अब भी आँखों से होंठो तक आंसू छलकता है
जिस दिल में"गुरू"नही,उसकी धड़कन कैसे धड़कती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

चलो सब छोडो बस इतना कहो,याद भी हूँ या भूल गई
यों दिल से मुझे निकाल दिया,ज्यों पैरोँ की धूल गई
मुझे कांटा समझने वाली,अब राहें कैसी लगती हैं।।
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है

मुझसे दूर जाने का डर,अब तुमको नही सतायेगा
मुझसा चाहने वाला कोई तुमको कभी न मिल पायेगा
तुमको भी बेताबी रहेगी जैसे मुझको बेचैनी अखरती है
मुझसे दूर जाकर के कहो, जिंदगी कैसी लगती है


Sunday, 21 May 2017

तेरे चेहरे की मायूसी

तेरे चेहरे की मायूसी अब भी ज़हन में है
उदासी अब भी मेरे मन में है

मैंने कपड़ों की तरह ज़िस्म नही बदले
तेरी खुशबू अब भी मेरे तन में है

कुछ ऐसा चलाया किस्सा बेवफाई का तुमने
तुम्हारा दिया हुआ धोखा,अब भी चलन में है

वो जूस के साथ आलू के परांठे तेरे
रुखसत होकर भी तूँ मेरे रहन-सहन में है

वो बात न होगी,स्वर्ग की परियों में गुरू
जो बात मेरी परी जैसी सनम में है

तेरे जाने के बाद को जीना,जिंदगी  कहता नही गुरू
या जिंदगी तेरी बाँहों में थी,या फिर कफ़न में है

Friday, 31 March 2017

गैरो की बाँहों

जाते जाते भी मुझसे दगा कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

विदाई से पहले बात जी भर की मुझसे
जाते-जाते तन्हाई में किसी ओर से मिल गई
गैरो की बाँहों में वफ़ा कर गई

यूँ तो सब थी खबर,ना बताया मगर
जुबाँ से अपनाया, दिल से मुकर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

आज भी लोग जानते है तुम्हे मेरे नाम से
मुझसे बेवफाई,किसी से वफ़ा,किसी से विवाह कर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

तुझे बद्द दुआ देने को अब भी दिल राजी नही
सदमे में हूँ तुम इतना बुरा मेरे संग कैसे कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

दो ही दिन थे शादी के,फिर जितना मर्जी बिखर लेती
अंदाजा नही तुम्हे तुम क्या कर गई
ग़ैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

"गुरू"की आँखों में इतना उजाला न आया समझ
स्वर्णा समझी थी,रेत सी बिखर गई
गैरों की बाँहों में वफ़ा कर गई

Monday, 13 March 2017

इस से बुरा अब क्या लिखूं...

इस होली हम संग नही इस से बुरा अब क्या लिखूं
इस होली तुम किसी और की हो,इस से बुरा अब ये भी है।

अब तेरी तस्वीर दिखी,ससुराल में पहली होली की
आँखों से आंसू झलक उठे,सीने पे लगी मानो गोली सी
लम्हे सारे चाक हुए,इस से बुरा अब क्या लिखूं
यादें सारी उम्र चुभेंगी, इस से बुरा अब ये भी है।

ये आसमानी सा रंग परी, चढ़ा तेरे रंग गोरे पे
किस्मत के रंग सफेद हुए,चढ़े मरजाने "गुरु"निगोड़े पे
ये रंग न मेरे हाथ लगा,इस से बुरा अब क्या लिखूं
ये हाथ तुझे मंजूर न था,इस से बुरा अब ये भी है।

तेरे चेहरे की मुस्कान सखी,अब भी उतनी ही खिलती है
खड़ी किसी के संग होजा,मुझसे अच्छी न जोड़ी सजती है
तेरे जोड़ी मेरे साथ नही,इस से बुरा अब क्या लिखूं
इस जोड़ी में वो बात नही,इस से बुरा अब ये भी है।

ये लाल गुलाल का बवाल,जो गाल पे तेरे छाया है
छूकर के किसी ने तुमको,दिल को मेरे तड़पाया है
इस तड़पन में तेरा हाथ है,इस से बुरा अब क्या लिखूं
तू किसी और के साथ है इस से बुरा अब ये भी है।

मेरे सपनों को बेरंग करके,क्यों किया मतभेद परी
मेरे सब रंग तेरे संग गये,जीवन हो गया सफेद परी
तुम पहले सी नहीं रही,इस से बुरा अब क्या लिखूं
"गुरू"अब भी न बदल सका, इस से बुरा अब ये भी है।।।।।

Tuesday, 28 February 2017

मेरे दिल के हर कोने में शोना तेरी याद बसी

मेरे दिल के हर कोने में,शोना तेरी याद बसी है
जिंदगी तो तेरे संग थी,मौत तेरे बाद बची है


तुम जब सबसे छिप छिपकर घर मिलने मुझसे आती थी
कोयल जैसे कूकती,चिड़िया सी चहचहाती थी
कमरे,रसोई,बरामदा,सबमे तुमसे मुलाकात बसी है
मेरे दिल के हर कोने में,शोना तेरी याद बसी है


हम दोनो के घर के चौबारों ने तो खुद में एक इतिहास रचा है
घर भले ही दूर हमारे,चौबारों ने हमको पास रखा है
मेरे घर की सब दीवारों में तेरे हंसने की आवाज बसी है
मेरे दिल के हर कोने में शोना तेरी याद बसी है


अब तक सब अपनी मर्जी थी,या समझो मजबूरी थी सब
बिना मंज़िल के खत्म हुए आकर अपने रास्ते अब
भली-बुरी जैसी भी है,जिंदगी अपने हाथ बची है
मेरे दिल के हर कोने में शोना तेरी याद बसी है

तेरे जाने के बाद तो दुनिया सी बर्बाद हुई है
कभी खत्म ना होने वाली सबसे काली रात हुई है
"गुरू"के पास तो अब खाली कुछ तस्वीरों की सौगात बची है

मेरे दिल के हर कोने में शोना तेरी याद बसी है।।।।।।

Sunday, 26 February 2017

दर्द चाहकर भी ना सह सका

दर्द चाहकर भी ना सह सका
बिना रोए रह ही ना सका
ऐसा नही की मैं पत्थरदिल हूँ
बस हालात ऐसे थे कि कह न सका

आँख से पानी दिल से खून के आंसू रोया हूँ
शादी की खबर से लेकर अब तक चैन से न सोया हूँ
काम और शौंक,ज़रूरत और भी हैं मेरी
पर कुछ याद नही है तुझमे इतना खोया हूँ

पुरानी यादो में जाकर खुद से कहता हूँ की काश सब बदल जाये
मैं तेरे और तुन मेरे मुताबिक ढल जाये
यादों से निकलता हूँ तो दहाड़ मारता हूँ
अ-ख़ुदा जैसे भी हो बस ये वक़्त निकल जाये

कुछ भी खाया नही
ऐसा नही के खुद को समझाया नही
मेरी खुद की दलीलों में बहुत दम था
पर न जानें क्यू खुद की समझा पाया नही

"गुरू" तो हर बार बेबस सा बनकर रह गया
कभी तेरे तो कभी खुद के हिस्से का ग़म सह गया
रोते-बिलखते आत्मा मर गई मेरी
बनकर मैं एक ज़िंदा लाश खड़ा रहा गया

विदा तुम शहर से हो रही हो
खालीपन मेरे दिल में आ रहा है
आजमाकर नुस्खे सब देख लिए "गुरु"
ये दर्द है कि फिर भी बढ़ता जा रहा है

मिलो किसी मोड़पर तो मुस्कुराना ज़रूर
याद आती है या नही,आँखों से बताना ज़रूर
तेरी आजमाइश ने मेरी जिंदगी काली बना दी
मेरे मुक़ाबले अब नए रिश्ते को आजमाना ज़रूर

एक मौका मिला और तुमने जिंदगी छाँट ली
मेरे हिस्से में ग़म और अपनी झोली में खुशियां बाँट ली
आज तक तो तुम्हारे सिवा किसी को महसूस नही किआ
तुमने आगोश बदल बदलकर ज़िन्दगी काट ली

दिल दुखी है मगर फिर भी दुआ दे रहा है तुम्हे
खुदा करे की किसी मौड़ पर कभी मिलो तुम हमे
खुश रहने की मेरी दुआ को साकार करना
बस भूल जाओ तुम मुझे,भूलता हूँ मैं तुम्हे

छोड़ देंगे अब तेरा इंतेजार करना
ना मैं करूँगा ना तुम मुझे प्यार करना
बस आखिरी बार वही पुरानी दुआ मांगता हूं
नये जीवन में खुश रहना और खुश रखना

Saturday, 21 January 2017

जिंदगी

जिंदगी बदल सी गई है
ना ही गलती तेरी ना ख़ता मेरी है
जिंदगी बदल सी गई है

याद है मुझको वो छत से  तुम्हारे इशारे
कट जायेगी जिंदगी अब इन्ही यादों के सहारे
बड़े गहरे समंदर में लाकर फंसाया तुमने मुझे
दूर दूर तक नहीं दिखाई देते किनारे

न जाने कैसी उलझन दिल में खड़ी है
न गलती तेरी न ख़ता मेरी है

चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल में नमी है
सब मिल गया फिर भी खलती तेरी कमी है
मैं ही जानता हूँ मेरा हाल क्या है पगली
बाहर से हूँ जिन्दा,अंदर से सांसे थमी हैं

कैसे मिटे दिल पर तेरी सोच गहरी है
ना गलती तेरी ना ख़ता मेरी है


हम तुम चाहते तो हाल ना होता इस कदर
जैसे -तैसे मिलकर कर लेते गुज़र बसर
कांटे तब भी होते राहो में प्यारी मगर
साथ में तो रहकर करते तय पूरा सफर

चेहरा तेरा उदास,आँखों में मेरी भी नमी है
ना गलती तेरी ना ख़ता मेरी है


देखने से लेकर इशारो तक का सफर
बातो से लेकर मिलने तक का सफर
छत से लेकर तेरी शादी तक का सफर
यादो में चलेगा मेरी समाधि तक ये सफर


मेरे दिल में अब भी बसती सूरत तेरी है
ना गलती तेरी और ना ख़ता मेरी है।


"गुरू"के दिल में तेरी सूरत अब ना बदलेगी कभी
तेरी छवि,हंसी और तेरी कमी,मेरे साथ चलेगी सभी
तुम थी,तुम हो,तुम रहोगी मेरे साथ हमेशा यों ही
साथ कोई भी हो उसमे देखूंगा बस तुम्हें ही


जिंदगी की हर घड़ी बस तुमसे सजी है
ना गलती तेरी और ना ख़ता मेरी है।।।