Tuesday 6 June 2017

बस सफर तुम खत्म हुए,आकर एक दीदार पर

बस सफर तुम खत्म हुए,आकर एक दीदार पर
जिसको दिल से चाहा उसको जीते खुदको हार कर

सारे शहर में चक्कर काटे, काश कहीं मिल जाओ तुम
नहीं मिले तो रोकर बैठा,आखिर मन को मारकर

जब देखा तुम तो घर पर हो,खुद पर ही मुस्काया मै
खुद की गलती पर क्या करता,खुद ही खुद को झाड़कर

ध्यान तुम्हारा और कहीं था और मेरे नैनो में थी तुम
पलको में तुमको ले चले,नैनो में छवि उतारकर

अब तक मैं इंतेजार में हूँ,काश कभी ढूंढोगी मुझे
तेरे भी नैना बरसेंगे,"गुरू"के दीदार पर

No comments: