मौत से कैसा डर मिनटो का खेल है.....
आफत तो ज़िन्दगी है बरसो चला करती है...!
यहाँ सारे ग़म धुंआ हो सकते है पल भर में
मगर इश्क़ की आग ताउम्र जला करती है।।
जिस दिल में पहले ही जगह ना हो किसी की
माशूक भी आकर उसी दिल में जगह करती है।।
नफरत को देखू उसकी तो पल में रुस्वा करदू उसे
पर क्या करूँ, मुझसे मोहब्बत भी बेपनाह करती है।।
लाख चेहरे देखो तब कोई सूरत दिल में उतरती है
खुद को मिटाओ तब जाकर मोहब्बत असर करती है
कई बार तो खुद की हस्ती भी हमे अखरती है
ज़माने से लड़कर ही मोहब्बत परवान चढ़ती है।।
ये मोहब्बत ही है जो ग़ालिब और अख्तर बनाया करती है
और ये मोहब्बत ही है जो बने बनाये"गुरु" को तबाह करती है।।
आफत तो ज़िन्दगी है बरसो चला करती है...!
यहाँ सारे ग़म धुंआ हो सकते है पल भर में
मगर इश्क़ की आग ताउम्र जला करती है।।
जिस दिल में पहले ही जगह ना हो किसी की
माशूक भी आकर उसी दिल में जगह करती है।।
नफरत को देखू उसकी तो पल में रुस्वा करदू उसे
पर क्या करूँ, मुझसे मोहब्बत भी बेपनाह करती है।।
लाख चेहरे देखो तब कोई सूरत दिल में उतरती है
खुद को मिटाओ तब जाकर मोहब्बत असर करती है
कई बार तो खुद की हस्ती भी हमे अखरती है
ज़माने से लड़कर ही मोहब्बत परवान चढ़ती है।।
ये मोहब्बत ही है जो ग़ालिब और अख्तर बनाया करती है
और ये मोहब्बत ही है जो बने बनाये"गुरु" को तबाह करती है।।
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