Saturday 28 March 2015

दिल भर गया

उसने जी भर के चाहा था मुझे
फिर हुआ यूँ कि उसका दिल भर गया

बड़ा अरसा लगा था उसके दिल में चढ़ते चढ़ते
अफओस हुआ जानकर के दिल से पल में उतर गया

मेरे जज्बात को चन्द लम्हों में बेगाना कर दिया उसने
और उसका मुस्कुराना तक मेरे दिल में घर कर गया

ये तेरा दिल था या कोई खरीदा हुआ झूठा गवाह
अकेले में अपनाया,महफील में साफ़ मुकर गया

मेरे दुश्मन ना कर सके जो काम कई सालो से
आज वो काम तेरा एक झूठा जवाब कर गया

मैं तो अपनी आई में खुदा से भी ना मरने वाला था
पर तुझसे मोहब्बत करके,अपने हाथो ही मर गया

दीन,ईमान,दुनिया,खुदा और मौत तक से बेख़ौफ़ था
आज तेरी याद आई तो "गुरु"देखकर आईने को डर गया।।।।
अफ़सोस हुआ जानकर....कि दिल से उतर गया......।।।।

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