अपने लफ़्ज़ों पर पूरा करार रखता हूँ
आँखों में छिपाकर तलवार रखता हूँ
मुझसे मिलने से पहले अपनी समझ निखार लेना
मैं किसी के सामने बात ,बस एक बार रखता हूँ
ज़िंदगी में लड़ने का थोड़ा तो मज़ा आये “गुरु”
दोस्त तो दोस्त मैं दुश्मन भी समझदार रखता हूँ
इस एक नज़र ने कई हसीनाओं के कलेजे लुटे हैं
होंठ नशीले ,निगाहें तेज़धार रखता हूँ
No comments:
Post a Comment