Wednesday, 31 May 2023

पहला प्यार,,,,pehla pyar

 पहला प्रेम तुमसे किया,वही बन गया मोह प्रिय

कैसे नयनन से दूर करूँ,तुम्हीं कुछ कहो प्रिय


वियोग दुख मुझको ही क्यूँ,स्वीकृति तो दोनों की थी

मैं ही तन्हा क्यूँ झेलूँ,तुम भी तौला-मासा सहो प्रिय


संभावित तुम न भाग्य लिखी,जितनी मिली प्रयाप्त सखी

आजीवन मैं तेरे हृदय बसूँ,मुझमें बसकर तुम रहो प्रिय


कभी पूरी न मन की चाह हुई,भला कब कान्हा की राधा हुई

उतना प्रेम तो संभव ना है,उस से कम भी ना हो प्रिय


मेरे नाम में नाम तुम्हारा,मुझे ख़ुद से ज़्यादा तुमसे स्नेह प्रिय

देह अर्पण किसी को रखो,हृदय समर्पित”गुरु” को रखो प्रिय

No comments: